"अगर अल्लाह है तो"

ऐतराज़ करता कि अगर अल्लाह है तो फलस्तीन के मुसलमानों को बचा क्यों नहीं लेता है ?

और इज़राइल को नेस्तनाबूद कर क्यों नहीं देता ? नास्तिक को जवाब' Allah Palestine ki Raksha Kyu Nahi Karta Hai - नास्तिक को जवाब


मैं कहता हूं अल्लाह चाहे तो जो मर ग‌ए हैं उनको भी दोबारा ज़िंदा कर दे, लेकिन उसने यह दुनिया एक इम्तिहान गाह के तौर पे बनाई है

Allah Palestine ki Raksha Kyu Nahi Karta Hai - नास्तिक को जवाब

जो अल्लाह तख़लीक़ और मरने के बाद दोबारा ज़िन्दा करने पर ऐबल और क़ादिर हो उसको न तो किसी के किसी को मार देने से कोई टेंशन हो सकती है न मुश्किल! पैदा करने वाला भी वह, मारने वाला भी वह, और मरे हुए को दोबारा ज़िन्दा करने वाला भी वह!

मक़सद सिर्फ़ आज़माइश है- वरना वह जानता है कि इस चंद-रोज़ा ज़िन्दगी में जो मार दिया गया उसे दोबारा ज़िन्दा करके हमेशा की जन्नत और जहन्नम अता कर देना उसके लिए मुश्किल नहीं!


इसकी एक मिसाल एक हदीस में मौजूद है;

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: 

क़ियामत के दिन अहले दोज़ख में से उस शख़्स को लाया जाएगा जो दुनिया में सबसे ज़्यादा आसूदा-तर और खुशहाल था, पस दोज़ख में एक बार ग़ोता दिया जाएगा, फिर उससे पूछा जाएगा कि ऐ आदम के बेटे! क्या तूने दुनिया में कभी आराम देखा था? क्या तुझ पर कभी चैन भी गुज़रा था? वो कहेगा अल्लाह की क़सम ! ऐ मेरे रब ! कभी नहीं!


और अहले जन्नत में से एक शख़्स लाया जाएगा जो दुनिया में सब लोगों से सख़्त-तर तकलीफ़ में रहा था, जन्नत में एक बार ग़ोता दिया जाएगा, फिर उससे पूछा जाएगा कि ऐ आदम के बेटे! तूने कभी तकलीफ़ भी देखी है ? वो कहेगा कि अल्लाह की क़सम! मुझ पर तो कभी तकलीफ़ नहीं गुज़री और मैंने तो कभी शिद्दत और सख़्ती नहीं देखी!

(सहीह मुस्लिम: 2807)


         क़ुरआन में अल्लाह फ़रमाता है:


وَ  اِذَا  الۡمَوۡءٗدَۃُ  سُئِلَتۡ ۪ۙ

और जब जीवित गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा,


بِاَیِّ ذَنۡۢبٍ قُتِلَتۡ ۚ

कि उस की हत्या किस गुनाह के कारण की गई,

(सूरह तकवीर: 8-9)


यहां सवाल क़ातिल से नहीं मक़्तूल से पूछा जा रहा है- क्यों ?


उसकी वजह क़ातिल को बेइज़्ज़त करना है कि तुम जिसको मारने पर कुदरत रखते हो उसे अल्लाह दोबारा न सिर्फ़ ज़िन्दा करने पर क़ादिर है बल्कि तुम्हारे रूबरू खड़ा करके पूछने पर भी क़ादिर है!


क्या यह थी तुम्हारी ताक़त ? क्या यही थी वो बच्ची जिसे तुम ज़िन्दा दफ़न करके अपने आप को ताक़त-वर समझ बैठे थे ? आज कहां है तुम्हारी ताक़त ? बच्ची ज़िन्दा है- तुम्हारे सामने खड़ी अपने रब से तुम्हारी शिकायत कर रही है, यह एक इम्तिहान था जिसमें तुम फ़ेल हो चुके, अब जहन्नम तुम्हारा ठिकाना है!


इसकी सादा मिसाल यूं लें कि आपकी नये माडल की बीएम डब्ल्यू कार के दरवाज़े में कोई डेंट पड़ जाए तो आपको कितना अफ़सोस होता है ?

मगर बीएम डब्ल्यू कम्पनी पूरी कार भट्ठी में डाल कर गला कर नये सिरे से बना कर खड़ी कर दे तो उसका कोई नुक़सान नहीं।


और रही बात इज़राइल के नेस्तनाबूद करने की बात तो यहां भी ऊपर की सारी बातें इस पर भी अप्लाई कर लिया जाए!

बाक़ी किसको कब कहां कैसे सफे हस्ती से नेस्तनाबूद करना है वो अल्लाह ख़ुद फैसला कर लेगा!


अल्लाह भी है और उसका बनाया हुआ निज़ाम भी है!

शुतुरमुर्ग की तरह आंखें मूंद लेने से अंजाम से नहीं बचा जा सकता!

अल्लाह की जात को इंकार करने के लिए ख़ुद का इंकार करना पड़ेगा!

Allah Palestine ki Raksha Kyu Nahi Karta Hai - नास्तिक को जवाब

हर  ज़र्रा   चमकता  है  अनवारे  इलाही   से

हर सांस यह कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी है!

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