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जब महिलाओं के अधिकार Islam Aur Nari की बात आती है तो हम देखते हैं की इस दुनिया ने उनके साथ बहुत अन्याय किया है. कभी संस्कृति कभी मज़हब तो कभी पारिवारिक सम्मान को लेकर उनका शोषण किया गया.

कुछ भयानक परम्पराएं भी थी या हैं जो महिलाओं का जीवन यातनाओं से भर देती हैं. इस लेख 'इस्लाम में महिलाओं के अधिकार' बाद इस लेख को भी पढ़ लें: भूतकाल में स्त्रियों का अपमान).

    Islam Aur Nari

    इस्लाम में महिलाओं का महत्व:-

    अल्लाह की नज़र में कोई बड़ा या छोटा कर्मो के आधार पर होता है और इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता की वो मर्द है या औरत क़ुरान ने कहा मुसलमान मर्द और मुसलमान औरतें और ईमानदार मर्द और ईमानदार औरतें और फरमाबरदार मर्द और फरमाबरदार औरतें और रास्तबाज़ मर्द और रास्तबाज़ औरतें और सब्र करने वाले मर्द और सब्र करने वाली औरतें और फिरौतनी करने वाले मर्द और फिरौतनी करने वाली औरतें और खैरात करने वाले मर्द और खैरात करने वाली औरतें और रोज़ादार मर्द और रोज़ादार औरतें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करने वाले मर्द और हिफाज़त करने वाली औरतें और खु़दा की बकसरत याद करने वाले मर्द और याद करने वाली औरतें बेशक इन सब लोगों के वास्ते खु़दा ने मग़फिरत और सवाब मुहैय्या कर रखा है” (33:35). 

    अल्लाह के रसूल मुहम्मद (स0) ने महिलाओं से कई नाज़ुक मौको पर राये ली जैसे सुलह हुदैबिया दुनिया में ये धारणा बहुत आम है की महिलायें ज़्यादा समझदार नहीं होती वो अच्छे फैसले नहीं ले सकती लेकिन मुहम्मद (सO) का जीवन देखें तो पता चलता है की उन्होंने महिलाओं के किरदार को कितना महत्व दिया वो अपनी पत्नी की उनके दुनिया से चले जाने के बाद तक बहुत तारीफ़ करते थे  और कहते थे उन्होंने मेरा साथ तब दिया जब मेरे साथ कोई नहीं था और हम जानते हैं की जब आप पर पहली वही आयी तो घबरा गए उस समय उनकी पत्नी हज़रत खदीजा ने उन्हें संभाला उनका हौसला बढ़ाया. इसी तरह आप अपनी बेटी और उनकी बेटियों से भी प्यार करते थे. कुछ पति ये समझते की वो अपनी पत्नियों से ऊपर हैं जबकि इस्लाम ने इस रिश्ते को स्नेह और रेहमत का रिश्ता बताया जिसमे ज़ुल्म की कोई जगह नहीं है क़ुरान ने कहा की हमने तुम्हारे बीच में स्नेह और आकर्षण रखा है (30:21)

    इस्लाम का सन्देश जब रसूल अल्लाह ने दिया तो अरब वालों ने आप पर इलज़ाम लगाया की ये धर्म औरतों को बहुत महत्व देता है और उन्हें फैसले का अधिकार देता है एक पुरुषप्रधान हुकूमत को ये मंज़ूर न हुआ आज उसी धर्म पर इलज़ाम लगता है की ये औरतों पर अन्याय करता है क्यूंकि मुसलमानों ने उस धर्म की शिस्क्षाओं को छोड़कर अपने नियम खुद तय करने शुरू कर दिए Islam Aur Nari.

    इस्लाम महिलाओं को पुरुषों से अधिक अधिकार देता है:-

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    पूरा लेख जरुर पढ़ें: इस्लाम महिलाओं को पुरुषों से अधिक अधिकार देता है – डॉक्टर लिसा (अमेरिकी नव मुस्लिम महिला)

    मर्दो की औरतों के लिये ज़िम्मेदारियाँ:-

    इस्लाम ने हर एक को उसकी ज़िम्मेदारियों के बारे में बता दिया है ताकि एक हम बेहतरीन समाज बना सकें जो खुशियों से भरा हुआ हो और अन्याय के लिये उसमे कोई जगह न हो. नबी करीम ने कहा की ए लोगों तुम्हारे  अधिकार हैं अपनी पत्नियों पर और तुम्हारी पत्नियों के अधिकार हैं तुम पर याद रखो तुम हमेशा अपनी पत्नियों से नरमी का व्यवहार करनाआज के पतियों को ये बात पता होनी चाहिए और पत्नियों को भी ताकि जब कोई पति अपनी पत्नी पर कोई अन्याय करे तो पत्नियां उसे याद दिला सकें की प्यारे नबी ने हुक्म दिया था इससे घरेलु जीवन में खुशियां बनी रहेंगी जो की घरेलु हिंसा और डिप्रेशन जैसी बिमारियों की जड़ हैं. 

    एक हदीस के अनुसार प्यारे नबी ने कहा की तुममे सबसे अच्छे वो हैं जो अपनी पत्नियों के साथ अच्छे हैं और तुममे अपनी पत्नियों के साथ सबसे अच्छा हूँ. 

    क़ुरान ने कहा मर्द औरतों के समर्थक हैं  “(4:34)और ये बताया भी तुम में से कोई किसी जगह ज़्यादा सामर्थ रखता तो दूसरा किसी और मैदान में. इस आयत को लोग पति और पत्नी के लिये समझते हैं जबकि सच्चाई ये है की आयात हर मर्द और औरत के लिये है क्यूंकि एक मर्द की ज़िम्मेदारी सिर्फ पत्नी ही नहीं बल्कि उसकी माँ बेहन और बेटी की तरफ भी होती है इसीलियें मर्द को इन सबका समर्थक बनाया गया है.

    इस्लाम में लैंगिक न्याय:-

    अल्लाह ने हर तरह के ज़ुल्म और ज़्यादती से इंसान को रोका और ईमान वालों से कहा की "तुम्हे किसी  क़ौम की दुश्मनी न्याय करने से न रोके.." (5:8) और लैंगिक भेदभाव के सम्बन्ध में कहा  और ख़ुदा ने जो तुममें से एक दूसरे पर तरजीह दी है उसकी हवस न करो मर्दो को अपने किए का हिस्सा है और औरतों को अपने किए का हिस्सा और ये और बात है कि तुम ख़ुदा से उसके फज़ल व करम की ख़्वाहिश करो ख़ुदा तो हर चीज़े से वाकि़फ़ है (4:32)”, रसूल अल्लाह मुहम्मद (सO) ने भी आखरी हज के ख़ुत्बे में कहा की सारी इंसानियत आदम और हव्वा से है और आगे जाकर कहा की तुममे छोटा या बड़ा अल्लाह की नज़र में सिर्फ अपने कर्मो के आधार पर बना जा सकता है.

    • शिक्षा का अधिकार रसूल अल्लाह (सO) ने कहा शिक्षा हर मूमिन पर अनिवार्य हैइसमें चाहें मर्द हो या औरत सबके लिए निर्देश दिया गया अफ़सोस है की कुछ लोगो ने औरतों को सिर्फ इस वजह से शिक्षा नहीं लेने दी क्यूंकि वो स्त्री हैं और इस्लाम के इस निर्देश का खुलेआम खंडन किया.
    • शादी में औरत की मर्ज़ी – शादी में लड़की मर्ज़ी ज़रूरी है. जब एक औरत रसूल अल्लाह के पास आयी और बताया की उसकी शादी उसकी मर्ज़ी के बिना हुई है तो आपने वो शादी ख़तम करवा दी क्यूंकि वो लड़की की मर्ज़ी के विरुद्ध थी.
    • पिता की संपत्ति में अधिकार इस्लाम ने 1400 साल पहले ये अधिकार औरतो को क़ुरान में दिया और बाकी दुनिया में ये लगभग पिछले 100 सालों से शुरू किया गया लेकिन अब भी आम तौर पे लड़कियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया जाता अफ़सोस की बात ये है की कुछ मुसलमान भी ऐसा ही करते हैं और ऐसा करना इस्लाम में बड़ा गुनाह है.

    औरतों के ख़ास अधिकार और कुछ छूटें:-

    इस्लाम ने औरतों को कुछ ख़ास अधिकार और छूटें भी दी जैसे जब एक आदमी रसूल अल्लाह (सO) के पास आया और पूछा की मेरी बेहतरीन साथ का सबसे ज़्यादा अधिकार किसे है तो आपने कहा की तेरी माँ उसने पूछा उसके बाद कौन आपने फिर कहा की तेरी माँ फिर उसने पूछा कौन तो फिर कहा तेरी जब उसने चौथी बार यही पूछा तो कहा तेरे पिता.

    शादी में औरत का अधिकार:-

    इस्लाम ने हमें बताया की जब तुम शादी करोगे तो लड़की को महर दोगे जो लड़की मांगे शादी से पहले चाहें वो रूपये हों या फिर कुछ और लेकिन हम देखते हैं की मुसलमान आज इस्लाम की इस शिक्षा से बेपरवाह हैं और महर पर ध्यान नहीं देते बल्कि माहौल से दहेज़ को अपना लिया जबकि इस्लाम में शादी के समय लड़की पर किसी तरह का बोझ नहीं डाला मुसलमाओं को चाहिए था की सारी दुनिया को सन्देश दे लेकिन अफ़सोस की मुसलमान भी दुनिया के रंग में रंग गए और इस बुराई में विलुप्त हो गए जबकि दहेज़ एक लानत है और महर रेहमत.


    इबादात में औरतों को छूट:-

    जब मासिक धर्म चल रहा होगा तो उन दिनों में औरत को नमाज़ में छूट दी गयी यही रोज़ों में भी हुआ. आज दुनिया में शायद ही कोई ऐसा वर्कप्लेस हो जहाँ औरत को मासिक धर्म के दौरान छूट दी जाती हो.

    मुसलमान होने के नाता हमारा फ़र्ज़ है की न्याय का साथ दें और इस्लाम की शिक्षण को लोग को बताएं ताकि समाज खुशहाल बन सके और अल्लाह हमसे राज़ी हो सके. Islam Aur Nari

    याद रखये इस्लाम ने अन्याय को एक बड़ा अपराध बताया है इसलियें खुदको भी इस अपराध से बचाएँ और समाज में भी इन बातों को आम करे. 


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