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आइये देखें कल्कि अवतार आखिर है कौन?, कल्कि अवतार आने वाले है या आ चुके है?

आज से साढ़े चौदह सौ वर्ष पूर्व मानव सामाजिक, आध्यात्मिक और नैतिक स्तर पर बड़ी दयनीय स्थिति में थे। पूरे संसार में मूर्ति-पूजा, लूट मार, जुआ, Kalki Avatar in Hindi मदीरापान, हत्या तथा व्यभिचार जैसी बुराइयों का प्रचलन था।

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यह स्थिति अपेक्षा कर रही थी एक ऐसे मार्गदर्शक की जो मानव को विनाश से बचाए और उनकी पथभ्रष्टता को दूर करके उन्हें ईश्वरीय मार्ग दिखा सके। ईसाई, यहूदी, हिन्दू और संसार की अन्य क़ौमें अपने धर्म-ग्रन्थों की भविष्यवाणियों के अनुसार एक अन्तिम ईश्दूत की प्रतीक्षा भी कर रही थीं।
वह अन्तिम संदेष्टा जिनकी आगमण की भविष्यवाणी प्रत्येक धार्मिक ग्रन्थों ने की थी शताब्दियों पहले आ गए तथा उनके अनुयाई भी पूरे संसार में फैले हुए हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों ने उसी संदेष्टा को कल्कि अवतार का नाम दिया है जिनकी आज तक हिन्दू समाज में प्रतीक्षा हो रही है हालाँकि वस सातवीं शताब्दी ही में आ चुके।
अब आइए हम आपको इतिहास तथा धार्मिक ग्रन्थों के हवाला से बताते हैं कि वह अन्तिम संदेष्टा कब आए? कहाँ आए? और वह कौन हैं?
अन्तिम संदेष्टा अर्थात् कल्कि अवतार की खोज करने से पता चलता है कि वह मुहम्मद सल्ल0 ही हैं जो सातवीं शताब्दी में विश्व के लिए मार्गदर्शक बनाकर भेजे गए। इस तथ्य को हिन्दू धर्म के बड़े बड़े विद्वानों ने स्वीकार किया है।

अन्तिम संदेष्टा का वर्णन वेदों की दुनिया में: अन्तिम संदेष्टा का वर्णन वेदों में नराशंस के नाम से 31 स्थान पर हुआ है और पुराणों में कल्कि अवतार के नाम से उनका वर्णन मिलता है।
नराशंस की खोजः नराशंस शब्द "नर" और "आशंस" दो शब्दों से मिल कर बना है। नर का अर्थ होता है मनुष्य और आशंस का अर्थ होता है " प्रशंसित" अर्थात् मनुष्यों द्वारा प्रशंसित। ज्ञात यह हुआ कि वह व्यक्ति मनुष्यों द्वारा प्रशंसित होगा और मनुष्य की जाति से होगा, देवताओं की जातियों से नहीं। और मुहम्मद का अर्थ भी "प्रशंसित मनुष्य" होता है जो मनुष्य ही थे और आज जब मुसलमान उन्हें एक मनुष्य के रूप में ही देखता है।

नराशंस की विशेषताएं
हम वेदों द्वारा नराशंस की कुछ प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करते हैं:
(1) वाणी की मधुरताः ऋग्वेद में नराशंस को "मधुजिह्वं" (ऋग्वेद संहिता 1/13/3) कहा गया है। अर्थात् उन में वाणी की मधुरता होगी। और सभी जानते हैं कि मुहम्मद सल्ल0 की वाणी में काफी मिठास थी।

(2) सुन्दर कान्ति के धनीः इस विशेषता का उल्लेख करते हुए ऋग्वेद संहिता (2/3/2) में "स्वर्चि" शब्द आया है। इस शब्द का अर्थ है "सुन्दर दिप्ति या कान्ति से यु्क्त" और मुहम्मद सल्ल0 इतने सुन्दर थे कि लोग स्वतः आपकी ओर खींच आते थे अपितु आपकी सुंद्रता चाँद के समान थी।

(3) पापों का निवारकः ऋग्वेद(1/106/4) में नराशंस को पापों से लोगों को हटाने वाला बताया गया है। और यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मुहम्मद सल्ल0 की समस्त शिक्षायें लोगों को पापों से निकालती हैं। इस्लाम जुआ, शराब, अवैध कमाई, ब्याज आदि से रोकता है और अत्याचार, दमन और शौषण से मुक्त समाज की स्थापना करता है।

(4) पत्नियों की साम्यताः अथर्ववेद कुन्ताप सूक्त (20/127/2) में आया है कि नराशंस के पास 12 पत्नियाँ होंगी। और वास्तव में मुहम्मद सल्ल0 के पास 12 पत्नियाँ थीं। "उल्लेखनीय है कि और किसी भी धार्मिक व्यक्ति की बारह पत्नियाँ नहीं थीं" ( देखिए हज़रत मुहम्मद सल्ल0 और भारतीय धर्म ग्रन्थ, लेखकः डा0 एम ए श्रीवास्तव पृष्ठ 12)

अन्य विशेषताएं:
(1) नराशंस की प्रशंसा की जाएगी तथा सबको प्रिय होगा (ऋग्वेद संहिता 1/13/3) संसार में जितनी प्रशंसा मुहम्मद सल्ल0 की की गई तथा आज तक की जा रही है वह किसी व्यक्ति के भाग में नहीं आया। हर मुस्लिम उन्हें केवल ईश्-दुत मानता है तथा यह आस्था रखता है कि वह लाभ अथवा हानि के अधिकारी नहीं फिर भी उनके लिए अपनी जान भी देने में संकोच नहीं करता क्योंकि उन्हीं के द्वारा अन्तिम ईश्वरीय संदेश मिला।

(2) नराशंस सवारी के रूप में ऊँटों का प्रयोग करेगा( अथर्ववेद 20/127/2) मुहम्मद सल्ल0 ऊँट की सवारी ही करते थे क्योंकि आपके समय में ऊँटों की ही सवारी होती थी।

(3) नराशंस को परोक्ष का ज्ञान दिया जाएगा (ऋग्वेद संहिता 1/3/2) मुहम्मद सल्ल0 ने परोक्ष से सम्बन्धित विभिन्न बातें बताईं जो सत्य सिद्ध हुईं।

(4) नराशंस अत्यधिक सुन्दर एवं ज्ञान के प्रसारक होंगे। (ऋग्वेद संहिता 2/3/2) मुहम्मद सल्ल0 का मुख-मण्डल चंद्रमा के समान था जिस पर प्रत्येक इतिहारकार सहमत हैं। उसी प्रकार आपने ईश्वरीय ज्ञान को घर घर प्रकाशित किया और आज यह ज्ञान पूरे संसार में फैला हुआ है।

(5) नराशंस लोगों को पापों से निकालेगा (ऋग्वेद संहिता 1/106/4) हमने पिछले पन्नों में सिद्ध किया है कि मुहम्मद सल्ल0 जिस समाज में पैदा हुए वह समाज हर प्रकार के पापों में ग्रस्त था परन्तु आपने उनके आचरण की सुधार की।

(6) नराशंस को सौ निष्क प्रदान किए जाएंगे (अथर्ववेद 20/127/6)
(7) नसाशंस दस मालाओं वाला होगा। (अथर्ववेद 20/127/6)
(8) नराशंस दस हज़ार गौयों से युक्त होगा। (अथर्ववेद 20/127/6)
डा0 वेद प्रकाश उपाध्याय लिखते हैं कि सौ निष्क से अभिप्राय चबूतरा में रहने वाले साथी हैं जो आप से धार्मिक शिक्षा लिया करते थे। उनकी संख्या भी 100 थी। दस मोतियों के हार से संकेत आप सल्ल0 के उन मित्रों की ओर है जिन्हें संसार ही में स्वर्ग की शुभ-सूचना दी गई थी। दस हज़ार गौयों से अभिप्राय वह सहयोगी हैं जिनकी सहायता से मक्का पर विजय प्राप्त किया था उनकी संख्या भी दस हज़ार थी।
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पुराणों के प्रमाण:
भविष्य पुराण में इस प्रकार आया हैः" हमारे लोगों का खतना होगा, वे शीखाहीन होंगें, वे दाढ़ी रखेंगे, ऊँचे स्वर में आलाप करेंगे यानी अज़ान देंगे, शाकाबारी मांसाहारी (दोनों) होंगे, किन्तु उनके लिए बिना कौल अर्थात् मंत्र से पवित्र किए बिना कोई पशु भक्ष्य (खाने) योग्य नहीं होगा (वह हलाल मास खाएंगे) , इस प्रकार हमारे मत के अनुसार हमारे अनुवाइयों का मुस्लिम संस्कार होगा। उन्हीं से मुसलवन्त अर्थात् निष्ठावानों का धर्म फैलेगा और ऐसा मेरे कहने से पैशीत धर्न का अंत होगा।" [भविष्य पुराण पर्व3 खण्ड3 अध्याय1 श्लोक 25, 26, 27 ]
भविष्य-पुराण के अनुसार "शालिवाहन (सात वाहन) वंशी राजा भोज दिग्विजय करता हुआ समुद्रपार (अरब) पहुंचे तथा (उच्च कोटि के) आचार्य शिष्यों से घिरे हुए महामद (मुहम्मद सल्ल0) नाम के विख्यात आचार्य को देखा।" [ प्रतिसर्ग पर्व 3, अध्याय 3, खंड 3 कलियुगीतिहास समुच्चय]
संग्राम-पुराण में गोस्वामी तुलसी दास जी लिखते हैं:

तब तक सुन्दर मद्दिकोया।

बिना महामद पार न होया।

अर्थात् " जब तक सुन्दर वाणी (क़ुरआन) धरती पर रहेगी उसके और महामद ( मुहम्मद सल्ल0) के बिना मुक्ति न मिलेगी।"

संग्राम-पुराण, स्कन्द 12, कांड 6 पद्दानुवाद: गोस्वामी तुलसी दास)

कल्की अवतार का स्थानः

अन्तिम संदेष्टा की आगमण के सम्बन्ध में पुराणों में बताया गया है कि जिस युग के युद्ध में तलवार तथा सवारी में घोड़ा का प्रयोग होगा ऐसे ही ऐसे ही युग में अन्तिम संदेष्टा की आगमण होगी। बल्कि कल्कि पुराण में अन्तिम संदेष्टा के जन्म-तिथि का भी उल्लेख किया गया है:

" जिसके जन्म लेने से मानवता का कल्यान होगा, उसका जन्म मधुमास के शुम्भल पक्ष और रबी फसल में चंद्रमा की 12वीं तिथी को होगा।"[ कल्कि पुराण 2:15 ]

मुहम्मद सल्ल0 का जन्म भी 12 रबीउल अव्वल को हुआ, रबीउल-अव्वल का अर्थ हाता है मधवमास का हर्षोल्लास का महीना।

श्रीमद भगवद महापुराण में कल्कि अवतार के माता पिता का वर्णन करते हुए कहा गया है:

शम्भले विष्णु पशसो ग्रहे प्रादुर्भवाम्यहम।

सुमत्यांमार्तार विभो पत्नियाँ न्नर्दशतः।।

अनुवाद: " सुनो! शम्भल शहर में विष्णु-यश के यहाँ उनकी पत्नी सुमत्री के गर्भ से पैदा होगा।" [ कल्कि अवतार अध्याय2 श्लोक1]

इस श्लोक में अवतार का जन्म स्थान शम्भल बताया गया है, शम्भल का शाब्दिक अर्थ है " शान्ति का स्थान" और मक्का जहाँ मुहम्मद सल्ल0 पैदा हुए उसे अरबी में "दारुल-अम्न" कहा जाता है। जिसका अर्थ " शान्ति का घर" होता है। विष्णुयश कल्कि के पिता का नाम बताया गया है और मुहम्मद सल्ल0 के पिता का नाम अब्दुल्लाह था और जो अर्थ विष्णुयश का होता है वही अर्थ अब्दुल्लाह का होता है। विष्णु अर्थात् अल्लाह और यश अर्थात् बन्दा, यानी "अल्लाह का बन्दा।" (अब्दुल्लाह) ।

उसी प्रकार कल्कि की माता का नाम "सुमति" ( सोमवती) आया है जिसका अर्थ होता है: " शान्ति एवं मननशील स्वभाव वाली" और मुहम्मद सल्ल0 की माता का नाम भी "आमना" था जिसका अर्थ है: " शान्ति वाली।"

कल्कि अवतार की प्रमुख विशेषताएं

(1) जगत्पतिः अर्थात् संसार की रक्षा करने वाला। भगवत पुराण द्वादश स्कंध,द्वीतीय अध्याय,19वें श्लोक में कल्कि अवतार को जगत्पति कहा गया है। और वास्तव में मुहम्मद सल्ल0 जगत्पति हैं। क़ुरआन ने मुहम्मद सल्ल0 को "सम्पूर्ण संसार हेतु दयालुता" (सूरःअल-अम्बिया107) की उपाधि दी है। एक दूसरे स्थान पर क़ुरआन कहता है "हमने तुमको सभी इंसानों के लिए शुभसूचना सुनाने वाला और सचेत करने वाला बना कर भेजा है। " (सूरः सबा आयत 28)

(2) चार भाइयों के सहयोग से युक्त

कल्कि पुराण (2/5) के अनुसार चार भाईयों के साथ कल्कि कलि ( शैतान) का निवारण करेंगे। मुहम्मद सल्ल0 ने भी चार साथियों के साथ शैतान का नाश किया था। यह चार साथी थे अबू बक्र रज़ि0, उमर रज़ि0, उस्मान रज़ि0 और अली रज़ि0।

(3) शरीर से सुगन्ध का निकलना

कल्कि पूराण (द्वादश स्कंध, द्वितीय अध्याय, 21वाँ श्लोक) में भविष्यवाणी की गई है कि कल्कि के शरीर से ऐसी सुगन्ध निकलेगी जिस से लोगों के मन निर्मल हो जाएंगे। और मुहम्मद सल्ल0 के शरीर की खूशबू बहुत प्रसिद्ध है, आप जिस से हाथ मिलाते थे उसके हाथ से दिन भर सुगन्ध आती रहती थी।
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देखिए भविष्य पुराण ( 323:5:8)

" एक दूसरे देश में एक आचार्य अपने मित्रों के साथ आएगा उनका नाम महामद होगा। वे रेगिस्तानी क्षेत्र में आएगा।"
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श्रीमदभग्वत पुराण : उसी प्रकार श्रीमदभग्वत पुराण (72-2) में शब्द "मुहम्मद" इस प्रकार आया है:

अज्ञान हेतु कृतमोहमदान्धकार नाशं विधायं हित हो दयते विवेक

"मुहम्मद के द्वारा अंधकार दूर होगा और ज्ञान तथा आध्यात्मिकता का प्रचनल होगा।"

यजुर्वेद (18-31) में है:

वेदाहमेत पुरुष महान्तमादित्तयवर्ण तमसः प्रस्तावयनाय

" वेद अहमद महान व्यक्ति हैं, यूर्य के समान अंधेरे को समाप्त करने वाले, उन्हीं को जान कर प्रलोक में सफल हुआ जा सकता है। उसके अतिरिक्त सफलता तक पहंचने रा कोई दूसरा मार्ग नहीं।"

इति अल्लोपनिषद में अल्लाह और मुहम्मद का वर्णन:

आदल्ला बूक मेककम्। अल्लबूक निखादकम् ।। 4 ।।अलो यज्ञेन हुत हुत्वा अल्ला सूय्र्य चन्द्र सर्वनक्षत्राः ।। 5 ।।अल्लो ऋषीणां सर्व दिव्यां इन्द्राय पूर्व माया परमन्तरिक्षा ।। 6 ।।अल्लः पृथिव्या अन्तरिक्ष्ज्ञं विश्वरूपम् ।। 7 ।।इल्लांकबर इल्लांकबर इल्लां इल्लल्लेति इल्लल्लाः ।। 8 ।।ओम् अल्ला इल्लल्ला अनादि स्वरूपाय अथर्वण श्यामा हुद्दी जनान पशून सिद्धांतजलवरान् अदृष्टं कुरु कुरु फट ।। 9 ।।असुरसंहारिणी हृं द्दीं अल्लो रसूल महमदरकबरस्य अल्लो अल्लाम्इल्लल्लेति इल्लल्ला ।। 10 ।।इति अल्लोपनिषद

अर्थात् ‘‘अल्लाह ने सब ऋषि भेजे और चंद्रमा, सूर्य एवं तारों को पैदा किया। उसी ने सारे ऋषि भेजे और आकाश को पैदा किया। अल्लाह ने ब्रह्माण्ड (ज़मीन और आकाश) को बनाया। अल्लाह श्रेष्ठ है, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। वह सारे विश्व का पालनहार है। वह तमाम बुराइयों और मुसीबतों को दूर करने वाला है। मुहम्मद अल्लाह के रसूल (संदेष्टा) हैं, जो इस संसार का पालनहार है। अतः घोषणा करो कि अल्लाह एक है और उसके सिवा कोई पूज्य नहीं।’’

इस श्लोक का वर्णन करने के पश्चात डा0 एम. श्रीवास्‍तव अपनी पुस्तक "हज़रत मुहम्‍मद (सल्ल.) और भारतीय धर्मग्रन्‍थ" मे लिखते हैं:

(बहुत थोड़े से विद्वान, जिनका संबंध विशेष रूप से आर्यसमाज से बताया जाता है, अल्लोपनिषद् की गणना उपनिषदों में नहीं करते और इस प्रकार इसका इनकार करते हैं, हालांकि उनके तर्कों में दम नहीं है। इस कारण से भी हिन्दू धर्म के अधिकतर विद्वान और मनीषी अपवादियों के आग्रह पर ध्यान नहीं देते। गीता प्रेस (गोरखपुर) का नाम हिन्दू धर्म के प्रमाणिक प्रकाशन केंद्र के रूप में अग्रगण्य है। यहां से प्रकाशित ‘‘कल्याण’’ (हिन्दी पत्रिका) के अंक अत्यंत प्रामाणिक माने जाते हैं। इसकी विशेष प्रस्तुति ‘‘उपनिषद अंक’’ में 220 उपनिषदों की सूची दी गई है, जिसमें अल्लोपनिषद् का उल्लेख 15वें नंबर पर किया गया है। 14वें नंबर पर अमत बिन्दूपनिषद् और 16वें नंबर पर अवधूतोपनिषद् (पद्य) उल्लिखित है। डा. वेद प्रकाश उपाध्याय ने भी अल्लोपनिषद को प्रामाणिक उपनिषद् माना है। ‘देखिए: वैदिक साहित्य: एक विवेचन, प्रदीप प्रकाशन, पृ. 101, संस्करण 1989।)

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अवतार का सही अर्थः तो लीजिए सर्वप्रथम अवतार का सही अर्थ जानिएः
श्री राम शर्मा जी कल्किपुराण के 278 पृष्ठ पर अवतार की परिभाषा यूं करते हैं- " समाज की गिरी हुई दशा में उन्नति की ओर ले जाने वाला महामानव नेता।"

अर्थात् मानव में से महान नेता जिनको ईश्वर मानव मार्गदर्शन हेतु चुनता है। उसी प्रकार डा0 एम0 ए0 श्री वास्तव अपनी पुस्तक हज़रत मुहम्मद और भारतीय धर्म ग्रन्थ पृष्ठ 5 में लिखते हैं- " अवतार का अर्थ यह कदापि नहीं है कि ईश्वर स्वयं धरती पर सशरीर आता है, बल्कि सच्चाई यह है कि वह अपने पैग़म्बर और अवतार भेजता है। "

ज्ञात यह हुआ कि ईश्वर की ओर से ईश-ज्ञान लाने वाला मनुष्य ही होता है जिसे संस्कृत में अवतार, अंग्रेज़ी में प्राफ़ेट और अरबी में रसूल (संदेष्टा) कहते हैं।

इस्लामी दृष्टिकोणः ईश्वर ने मानव मार्गदर्शन हेतु हर देश और हर युग में अनुमानतः 1,24000 ज्ञानियों को भेजा। पुराने ज़माने में उन ज्ञानियों का श्रृषि कहा जाता था। क़ुरआन उन्हें धर्म प्रचारक, रसूल, नबी अथवा पैग़म्बर कहता है। उन सारे संदेष्टाओं का संदेश यही रहा कि एक ईश्वर की पूजा की जाए तथा किसी अन्य की पूजा से बचा जाए। वह सामान्य मनुष्य में से होते थे, पर उच्च वंश तथा ऊंचे आचरण के होते थे, उनकी जीवनी पवित्र तथा शुद्ध होती थी। 
उनके पास ईश्वर का संदेश आकाशीय दुतों (angels) द्वारा आता था। तथा उनको प्रमाण के रूप में चमत्कारियाँ भी दी जाती थीं ताकि लोगों को उनकी बात पर विश्वास हो। 

हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) और बौद्ध धर्म ग्रन्थ - लेखकः डा० एम ए श्रीवास्तव https://towardsmukti.blogspot.com/2020/06/buddha-about-muhammad-pbuh.html