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औरत की आजादी - एक दिल फरेब जाल Aurat Azadi March.


Aurat Azadi March

मर्द, औरत की आज़ादी नहीं बल्कि औरत तक पहुंचने की आज़ादी चाहता है। आजकल औरत की आज़ादी के दिलफरेब नारे बहुत लग रहे हैं। यूरोप की नक्काली की जा रही है। बाजू तो नंगे हो गए जल्द ही टांगे भी इस मॉर्डनिजम का शिकार हो कर नंगी हो जाएंगी। जिस्म को आहिस्ता आहिस्ता नंगे कराते जाना शैतान का सब से बड़ा हथियार है।



जीनत छुपाने वाला बुर्का भी चला गया, और इसकी जगह "फैशनी बुर्का" आया और वो भी फैशन की नज़र हो गया। और बुर्का दकिया नूसी चीज़ करार पाया फिर चादर आई वो भी चली गई। दोपट्टा से सर ढांपा जाने लगा फिर दुपट्टा भी सर से ढुलक कर गले में आ गिरा और आहिस्ता आहिस्ता ये भी गायब हो गया। और फिर लिबास ने एक नया रूख इख्तियार किया। लिबास चुस्त और मुख्तसर होता चला गया। आज कल लिबास छी छी! जो छुपाना है, वो दिखाते हैं आखिर इस सब नंगे पन का सबब क्या है?
सिर्फ मर्द को अपना जिस्म दिखाना, और फिर मर्द भी ऐसी लड़कियों के पीछे लग जाते हैं। और इन्हे हासिल कर के इनकी जिंदगी तबाह कर देते हैं। 



मुझ जैसे हस्सास इंसान को ये पढ़कर बहुत रोना आया था। जब इंटरनेट कैफे स्केंडल की वजह इकलौती बेटी की पंखे से लटकी लाश से बाप लिपट कर ज़ारो कतार रो रहा था।



मुझे उस वक्त भी रोना आया जब एक खबीस लड़के ने एक लड़की से नाराज़गी पर इस की बरहना न्यूड Video Upload कर दी गई। और उस बेचारी को अपनी नब्ज़ काट कर दुनिया से जाना पड़ा। उसकी दुनिया तो तबाह हुई। ईश्वर के नजदीक भी खुदकुशी करके पाप की भागीदार हुई। (आत्महत्या (ख़ुदकुशी) करना महापाप है)



मुझे उस वक्त भी रोना आया जब, एक लड़की एक लड़के सामने बे लिबास रो रही थी कि मेरा Video Delete कर दो और वो कह रहा था। कि मेरे दोस्तों को भी खुश करो और उस रात वो छत से कूद कर मर गई। 



मुझे इस वक्त भी रोना आया जब, एक लड़की अपनी सहेली के याथ अपने महबूब से मिलने गई और वहां इज्तिमाई ज़ियादती (Gang Rape) का निशाना बन कर सिसक सिसक कर मर गई।
अस्पताल वालों ने जब फोन किया तो वालिदैन (Parents) ने कहा हमारी तो कोई बेटी ही नहीं! 



मुझे उस दिन भी रोना आया जब, एक लड़की को इसके महबूब ने नशाआवर जूस पिला कर अपने दोस्तों के सामने पेश किया और उस ग़म की मारी ने एक ट्रक के नीचे आकर जान दे दी।



मैं उस वक्त को नहीं भूल सकता जब एक लड़की रो-रो कर कह रही थी, कि तुम मेरे जिस्म से खेलते रहे हो शादी का वादा किया अब तुम शादी क्यों नहीं करते?



वो फक़त मुस्करा रहा था। मैंने कहा बेगैरत इंसान इसे अपना लो!! तो कहने लगा कि जो मेरे पास आ सकती है वो पता नहीं किस किस के पास गई होगी?



ये डायलॉग मैं लड़को की ज़बानी कई बार सुन चूका हूं, ये अय्याश मर्दों के नफ्सियात हैं और इन गंदे लोगों को यही खद्शा रहता है। काश लड़कियां किसी लड़के की मोहब्बत में कूदने से पहले मेरे ये अल्फाज़ पढ़ कर सोचें शायद वो खुदकुशी से बच जाएं।



याद रखें ऐसे मर्द तो जिस्म के भूखे है, वो औरत को नोच भी लेते है, काट भी लेते है। ऐसे इंसान को कुत्ता बनने में देर नहीं लगती लेकिन इसे ऐसा बनने का मौका औरत देती है। और समझती है कि मेरी इज़्ज़त का रखवाला बनेगा। लेकिन वो ये नहीं सोचती कि जब वो खुद अपनी इज़्ज़त की हिफाज़त नहीं कर सकी तो गैर कैसे करेगा?



इस मोहब्बत के दिलफरेब खेल से बचें हर मर्द, मर्द नहीं होता शैतान भी होते हैं अपनी इज्ज़त कराएं अपना जिस्म नुमायां न करें लिबास ऐसा पहनें कि दूसरा इंसान एहतराम करने पर मजबूर हो जाए।



मैने जब देखा यूरोप में जो रहते हैं, यहां औरत आज़ाद हो कर ज्यादा परेशान हो गई क्योंकि इससे मर्द की फितरत नहीं बदली। औरत ने आज़ादी हासिल कर के बहुत कुछ गवां दिया। और इसके बदले बहुत ही कम फायदा हासिल किया। मर्द और ज़्यादा आज़ाद हो गया। लेकिन नतीजा बेहद भयानक निकला दोनों अपना सुकून गंवा बैठे और खानदानी निज़ाम तबाह हो गया।



यहां औरत मर्दों के हाथों में खिलौना बन कर रह गई। औरत और मर्द की इस आज़ादी की सज़ा औलाद को भुगतनी पड़ती है। वहाँ मियां-बीवी और बच्चे साथ तो बैठते हैं लेकिन मां एक होती हे तो बाप कोई ओर होता है।



वहा बच्चे भी न मां की कदर करते है न बाप की। मां-बाप के सामने ही शराबो कबाब की महफिलें आरासता होती लड़कियां गैर-मर्दों के साथ रहकर फख्र करती है।अल्लाह का शुक्र हे कि इस्लाम इन सब बेहयाई की बातो रोकता है।



Note: आज यूरोप में सब कुछ है लेकिन ज़हनी सुकून (Peace of Mind) नहीं। ज़हनी सुकून हासिल करने के लिए दीने इसलाम पर अमल करना ज़रूरी हैं। 



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