एक पुजारी और उसके तिन बेटों की सच्ची कहानी

एक व्यक्ति के तीन बेटों ने मुर्ति-पूजा छोड़ कर एक ईश्वर की पूजा शुरू कर दी थी। पिता मुर्तियों का बहुत बड़ा पुजारी था। अपने घर के मंदिर में सुबह शाम मुर्ति की पूजा करता था। इसी लिए वह हर समय भयभित रहता कि ऐसा न हो कि हमारे घर पर भगवाग की शराप पड़ जाए Pujari Aur Ki Kahani। 

Pujari Aur Ki Kahani

एक दिन वह भगवान के पास गया और भगवान को इन शब्दों में सम्बोधित कियाः देवता जीः आप जानते हैं, कि हमारे समाज में एक व्यक्ति आ गया है। जो लोगों को अपने पूर्वजों के धर्म से काट कर एक अलग धर्म की ओर बुला रहा है, वह आपका सब से बड़ा विरोद्धी है...। हमें इस सम्बन्ध में कुछ परामर्श दीजिए कि, क्या किया जाए उसके साथ। मुर्ति में जीव कहाँ कि उत्तर दे...। पुजारी थोड़ी देर प्रतीक्षा किया...फिर कहने लगा कि, शायद आप हम से क्रोधित हैं, ठीक है...। आपका क्रोध ठंडा होने तक हम आपको कुछ न कहेंगें। 

उसी रात पुजारी के बेटों ने रात में घर के मंदिर से मुर्ति को अपने कंधों पर उठाया, और गंदगी के ठेर और सड़े हुए मुर्दार कुवें में फेंक दिया। सुबह सवेरे जब स्नान करके घर के मंदिर में पूजा पाट के लिए गए तो मुर्ति को गुम पा कर ज़ोर से चींख मारी। किस कमीने ने हमारे देवता की चोरी की है...? परिवार के लोग चुप रहे। फिर वह परेशानी की हालत में खोजते हुए बाहर निकले, तो मुर्ति को देखा कि उल्टे मुंह कुवें में गिरा पड़ा है। तुरन्त वहाँ से निकाला, उसे धुला और खुशबू लगा कर फिर उसी स्थान पर रख दिया। 

दूसरी रात उनके बेटों ने फिर वैसा ही किया और उसे कुवें के पास गंदगी में फेंक दिया। सुबह जब पूजा के लिए घर के मंदिर में गए तो मुर्ति को न पा कर सख्त क्रोधित हुए। फिर जब खोजते हुए कुवें के पास पहुंचे तो पहले ही दिन के जैसे गंदगी में उल्टे मुंह गिरा देखा। प्रेम से उठाया और धुल कर, खुशबू लगाकर मंदिर में रख दिया।
उसके बेटे हर रात ऐसा ही करने लगे। 

जब मआमला हद से आगे बढ़ गया तो पुजारी एक दिन रात में सोने से पहले उसके पास गया और कहाः ऐ देवता! खेद है तुम पर, बकरी का बच्चा भी अपनी पीठ पर होने वाले आक्रमण को रोकता है, फिर उस बुत की गर्दन में एक तलवार लटका दी। और कहाः इस तलवार के द्वारा अपने शत्रु से अपनी सुरक्षा करना। जब रात का अंधेरा छा गया तो उसके बेटों ने बुत को उठाया, उसकी गर्दन में एक मुर्दार कुत्ता बाँधा और उसी गंदे कुवें में फेंक आए। 

जब सुबह हुई और पुजारी बुत को खोजते हुए कुवें के पास पहुंचे तो उसकी दयनिय स्थिति देख कर कहाः
ورب يبول الثعلبان برأسه    لقد ذل من بالت عليه الثعالب
ऐसा देवता कि जिसके सर पर लोमड़ी पेशाब करे... वह कितना अपमानित और विवश है...। जिस के सर पर लोमड़ियाँ पेशाब करती हों।

यह कह कर तुरन्त मुसलमान हो गए और अपने बेटों के साथ एक अल्लाह की पूजा में लग गए। इतिहास में इस पुजारी का नाम "अमर बिन जमूह" है।