गुरु नानक शाह का दृष्टिकोण ईश्वर के बारे में क्या था? सिख धर्म का मूल मंत्र का अर्थ Guru Nanak about Islam Hindi.
Guru Nanak about Islam Hindi
पाकिस्तान स्थित पंजाब के तलवंडी गाँव में जन्म लेने वाले गुरु नानक बचपन से सांसारिक विषयों से दूर रहते थे । अध्यतामिक चिंतन में रुचि रखने वाले गुरु नानक ने ही सिख धर्म की बुनियाद रखी । वह हिन्दू घर में पैदा हुए थे इसलिए उन्होंने हिन्दू समाज में फैले कुरीतियों का विरोध किया। अनेक देव की उपासना से रोका और एक मालिक के उपासना की शिक्षा दी। इस शिक्षा को दुनिया जपजी के नाम से जानती है ।
जो सिख धर्म का मूल मंत्र कहलाता है। और सुनहरे अक्षरों में लिखने के लायक है, जो इस प्रकार है
जो सिख धर्म का मूल मंत्र कहलाता है। और सुनहरे अक्षरों में लिखने के लायक है, जो इस प्रकार है
ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ
ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
परमात्मा मात्र एक ही है,
उसका नाम सत्य है, वह रचने वाला है, डर और वैर से रहित है, उसके रूप पर समय का कोई प्रभाव नहीं, वह जन्मरहित, स्वयं प्रकाशमय है,
वह गुरु की कृपा से मिलता है।
उसका नाम सत्य है, वह रचने वाला है, डर और वैर से रहित है, उसके रूप पर समय का कोई प्रभाव नहीं, वह जन्मरहित, स्वयं प्रकाशमय है,
वह गुरु की कृपा से मिलता है।
यह सिख की धार्मिक पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब का पहला मंत्र है। जो इस्लाम के धार्मिक ग्रंथ क़ुरआन की शिक्षाओं से काफी मिलता जुलता है । जो इस प्रकार हैं
قُلۡ هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ
اَللّٰهُ الصَّمَدُ
لَمۡ يَلِدۡ ۙ وَلَمۡ يُوۡلَدۡ
وَلَمۡ يَكُنۡ لَّهٗ كُفُوًا اَحَدٌ
اَللّٰهُ الصَّمَدُ
لَمۡ يَلِدۡ ۙ وَلَمۡ يُوۡلَدۡ
وَلَمۡ يَكُنۡ لَّهٗ كُفُوًا اَحَدٌ
कह दीजिये की अल्लाह एक है।
अल्लाह किसी पर निर्भर नहीं है।
न अल्लाह किसी का संतान है और न अल्लाह का कोई संतान है।
और अल्लाह के बराबर कोई नहीं। (क़ुरआन-112:1-4)
अल्लाह किसी पर निर्भर नहीं है।
न अल्लाह किसी का संतान है और न अल्लाह का कोई संतान है।
और अल्लाह के बराबर कोई नहीं। (क़ुरआन-112:1-4)
خَالِقُ كُلِّ شَىۡءٍ فَاعۡبُدُوۡهُۚ
अल्लाह ही हर चीज़ का रचियता है तो उसी की उपासना करो। (क़ुरआन-6:102)
اَللّٰهُ نُوۡرُ السَّمٰوٰتِ وَالۡاَرۡضِ
अल्लाह आसमानों और ज़मीन का नूर (प्रकाश) है। (क़ुरआन-24:35)
यही कारण है कि मुसलमान भी सिर्फ एक मालिक को ही उपासना के योग्य मानते हैं। और यही गुरु नानक के उपदेश का सार भी था कि उपास्य एक है इसलिए सब मिलकर उसी एक की ही उपासना करें ।
-IbnTayyebAli
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