Murti Puja Kab Shuru Hui
शैतान लोगों के पास आया और कहा कि तुम्हें अपने रसूल या बुजुर्ग से बड़ा प्रेम है। मरने के बाद वे तुम्हारी नज़रों से ओझल हो गए हैं, ये सब अल्लाह के चहेते बन्दे हैं। अल्लाह उनकी बात नहीं टालता, इसलिए में उनकी एक मूर्ति बना देता हूँ। उसे देख कर तुम सुख शान्ति पा सकते हो। शैतान ने मूर्ति बनाई। जब उनका मन करता, वे उसे देखा करते थे। धीरे-धीरे जब उस मूर्ति की मुहब्बत उनके दिल में बस गई तो शैतान ने कहा कि ये रसूल (सन्देष्टा), नबी व बुज़ुर्ग अल्लाह के बड़े निकट हैं। यदि तुम इनकी मूर्ति के आगे अपना सिर झुकाओगे तो अपने को ईश्वर के समीप पाओगे और ईश्वर तुम्हारी बात मान लेगा या तुम ईश्वर से समीप हो जाओगे।NOTE: कुछ लोगों का कहना है, की अल्लाह ने फिर शैतान को बनाया ही क्यों जबकि वो लोगों को बहकता है, ऐसे लोगों का कहना ऐसे ही है जैसे शिक्षक (Teacher) परीक्षा में चार विकल्प क्यूँ देता है, सिर्फ एक उत्तर ही दे देना चाहिए था. फिर ये ज़िन्दगी परीक्षा कैसे?
"जिसने उत्पन्न किया है मृत्यु तथा जीवन को, ताकि तुम्हारी परीक्षा ले कि तुममें किसका कर्म अधिक अच्छा है? तथा वह प्रभुत्वशाली, अति क्षमावान् है।" कुरआन 67:2
मनुष्य के मन में मूर्ति की आस्था पहले ही घर कर चुकी थी, इसलिए उसने मूर्ति के आगे सिर झुकाना और उसे पूजना आरंभ कर दिया और वह मनुष्य जिसकी उपासना के योग्य केवल एक अल्लाह था, मूर्तियों को पूजने लगा और शिर्क (बहुदेववाद) में फंस गया।
मनुष्य जिसे अल्लाह ने धरती पर अपना ख़लीफ़ा (प्रतिनिधि) बनाया था, जब अल्लाह के अलावा दूसरों के आगे झुकने लगा तो अपनी और दूसरों की नज़रों में अपमानित और घृणा का पात्रा हो गया और मालिक की नज़रों से गिर कर सदैव के लिए नरक उसका ठिकाना बन गया।
इसके बाद अल्लाह ने फिर अपने सन्देष्टा भेजे, जिन्होंने लोगों को मूर्ति पूजा ही नहीं, हर प्रकार के बहुदेववाद और अन्याय से संबंध रखने वाली बुराईयों और नैतिक बिगाड़ से रोका। कुछ लोगों ने उनकी बात मानी और कुछ लोगों ने उनकी अवज्ञा की। जिन लोगों ने बात मानी, अल्लाह उनसे प्रसन्न हुआ और जिन लोगों ने उनके निर्देशों और नसीहतों का उल्लघन किया, अल्लाह की ओर से दुनिया ही में उनको तबाह व बर्बाद कर देने वाले फै़सले किए गए।
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