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(प्रिय पाठक! इस लेख "मृत्यु और मरने के बाद का जीवन" को पूरा  पढ़ें आपके जीवन से संबंधित कई प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे Marne Ke Baad Kya Hota Hai.

Marne Ke Baad Kya Hota Hai

मौत करीब है

          मौत एक ऐसी सच्चाई है जिससे कोई भाग नहीं सकता। यह हर दिन, हर घंटा, हर लम्हा हमारे करीब होती जा रही है। सी. आई. ए. की वर्ल्ड फैक्ट बुक 2007 के अनुसार हर सेकंड में 2 व्यक्तियों की मृत्यु होती है, इसका मतलब है हर साल 57 लाख 90 हजार लोग!
          हर किसी को भाग्य के अनचाही फैसले को मानना ही पड़ता है फिर चाहे वह किसी भी उम्र, जाति या कितने ही ऊँचे सामाजिक एवं धार्मिक रुतबे वाला व्यक्ति हो।

          बड़े-बड़े राजा महाराजा, करोड़पति, ताक़तवर कहाँ गए? वो जो अपनी खूबसूरती पे नाज़ करते थे, जिन्हें लोग बहुत समझदार समझते थे वे सब कहाँ गए?
"तुम जहाँ कही नही होंगे मौत तुम्हे आ पकड़ेगी चाहे तुम मजबूत कीलों में हो" –पवित्र कुरआन 4:78

मौत की सत्यता

          मौत कोई आफत नहीं बल्कि इस दुनिया से दुसरी दुनिया में जानें का एक मध्यम हैं। मौत हमें यह दिलाती है कि हम इस बात पर विचार करें कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या हैं तथा मरने के बाद हमारे साथ क्या होगा? पवित्र कुरआन में अल्लाह कहता है कि, उसने हमें इस लिए पैदा किया कि हम सिर्फ उसी कि इबादत करें, तथा यह जीवन का परीक्षा कि कौन उसके उद्देश्य को पुरा करता हैं
"मैंने जिन्नात और इंसान को सिर्फ इसीलिए पैदा किया कि वे केवल मेरी इबादत करें।" –पवित्र कुरआन 51:56

अल्लाह ने हमें इस बात से भी अवगत करा दिया कि जीवन तथा मृत्यु का उद्देश्य क्या है:
"जिसने जिंदगी और मौत को इसलिए पैदा किया कि तुम्हारा इम्तिहान ले कि तुम में से अच्छे कर्म कौन करता है"। –पवित्र कुरआन 67:2

          मौत की तैयारी का यह अर्थ नहीं है की, कोई पहले से ही अपनी अर्थी का सामान इकठ्ठा करले बल्कि इसका अर्थ यह है, की हम इस जीवन के उद्देश्य को जाने की सिर्फ अल्लाह की इबादत की जाये (जैसा की तमाम धर्मिक किताबों में लिखा है की एक ही ईश्वर है, जिसका कोई मूर्ति नहीं कोई फ़ोटो नहीं उसके जैसा कोई नहीं इस विषय पे विस्तार से अध्ययन करने के लिए बाद में ये पोस्ट पढ़ लें Link,

          और दूसरी बात की ईश्वर के आखरी पैगम्बर मुहम्मद सल्ल० है ये भविष्यवाणी भी अक्सर धार्मिक किताबों में मिलेगी, कुछ धार्मिक किताबों में तो नाम से जैसे हिन्दू धर्म, इसाई धर्म नाम मुहम्मद, महामद सल्ल० इस विषय पर भी अलग से लेख है, बाद में ये भी पढ़ लें Link और कुछ लोगो का प्रश्न रहता है

          मुसलमान अल्लाह क्यू कहते है? ईश्वर या भगवान को तो ये जान लें की अल्लाह कोई दूसरा ईश्वर या भगवान नहीं है वही ईश्वर है जो सारे संसार का मालिक और रचयिता है जिसको अरबी भाषा में मुसलमान, अल्लाह कहते है और ये ऐसा शब्द है ईश्वर के लिए जिसके अर्थ में कोई बदलाव नहीं कर सकता)

          उस एक रचयिता की इबादत की जाए, उसके आदेशानुसार जीवन व्यतीत किया जाये तथा अच्छे कर्म किये जाएँ। इस्लाम में इबादत का अर्थ सिर्फ पूजा-पाठ नहीं बल्कि हर वह कर्म जो अल्लाह के लिए और उसके आदेशानुसार किया जाए, एक इबादत है जिसका इन्सान को फल मिलेगा।

मृत्यु के क्षण

          हर रोज़ हम मौत की कितनी ही मिसालों को देखते है। हमने लोगों को बड़ी आसानी से बिना दर्द या कष्ट के मरते देखा है, लेकिन यह हकीकत नहीं है जब एक इन्सान मरता है और आत्मा शरीर से निकलती है तब हो सकता है, की ऊपर से शरीर किस स्थिति से आत्मा की दशा का अंदाज़ा न लग सके। आत्मा की शांति या तकलीफ इस बात पर निर्भर करती है की जीवन में उसके कर्म कैसे थे, फिर चाहे मरने वाला किसी भी कारण से मरा हो, अगर किसी किसी धर्मनिष्ट इन्सान को मौत की तकलीफ होती है तो उसके दरजात स्वर्ग में बुलंद कर दिए जाते है या उसके किये गये पापों का कफ्फारा हो जाता है और उसे बख्स दिया जाता है।

एक उदाहरण

          उदाहरण के तौर पर दो व्यक्ति किसी ऐसे स्थान की जाने की टिकिट निकालते है जहां वे पहले कभी न गये हो और जहाँ से उनको वापिस आना भी न हो। अब उनमे से पहले पहले व्यक्ति ने उस स्थान के बारे में वहाँ के रहन-सहन, क़ायदे-कानून एवं भाषा की सारी जानकारी प्राप्त कर रखी है, तथा वहाँ की मुद्रा एवं जरूरत के सामान रख लिए हों, और जब उसके जाने का समय आ जाता है तो बिना किसी दुविधा के वह सफ़र के लिए तैयार हो जाता है, वह बिलकुल सुरक्षित एवं सहज महसूस करता है क्योंकि उसने सारी तैयारीयां की होती है।

          उसके उलट, दूसरा व्यक्ति लापरवाही से जीवन गुजारता रहता है कोई तैयारी नहीं यहाँ तक की जाने का समय आ जाता है। वह उस अनजाने गंतव्य पर भ्रमित एवं डर की अवस्था में पहुँचता है। उसकी लापरवाही उसे एक भयानक हालात से दो-चार करवाती है और उसे समझ में आता है की वह सारी चीज़े जो वह यहाँ लेकर आया है किसी काम की नहीं है।

          "यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मौत आने लगती है तो कहता है की मेरे रब! मुझे वापस लौटा दे। कि अपने छोड़ी हुई दुनिया में जाकर नेक काम करूं।" –पवित्र कुरआन 23:99-100

          और जरा सोचें उन लोगों के बारे में कि जो नरक का ईंधन बन गये और तब उनसे पूछा जायेगा की किस चीज़ ने तुम्हे यहाँ तक पहुँचाया तो वो कहेंगे:

          "वे जवाब देंगे की हम नमाज़ी न थे। न भूखों को खाना खिलते थे, और हम बेकार बात करने वालों के साथ बेकार बात में व्यस्त रहा करते थे। और हम बदले के दिन को झुठलाते थे। यहाँ तक की हमारी मौत आ गयी।" -पवित्र कुरआन 74:43-47

          हम सभी को मौत से मुलाकात का समय तय है, और हम सभी को एक अंजान गंतव्य तक सफ़र करना है। जरा खुद से पूछें- क्या आपने उस सफर की तैयारी कर ली?

जीवन का उद्देश्य

          "क्या तुमने समझ रखा है कि हमने तुम्हें व्यर्थ पैदा किया है और तुम हमारी ओर फिर नहीं लाये जाओगे? पवित्र कुरआन 23:115"
          जीवन एक इम्तिहान है जिसका अंत मौत के रूप में होता है, परन्तु इससे किसी के अस्तित्व का अंत नहीं होता। मौत के आते ही अच्छे कर्म करने के सारे दरवाजे बंद हो जाते है। तब पछताने का मौका भी नहीं मिलेगा, और हमारे सारे हिसाब-किताब हमारी आस्था एवं कर्मों के अनुसार होगा।

          इन्सान की ज़िन्दगी दो हिस्सों में बटी हुई है, एक इस दुनिया की संक्षिप्त सी ज़िन्दगी और दुसरे बाद का अनन्त जीवन। किसी कम बुद्धि का इन्सान भी इस बात को स्वीकार करेगा की मृत्यु के पश्चात् के अनन्त जीवन का आनन्द इस दुनिया की छोटी सी ज़िन्दगी के सिमित सुख से कहीं बेहतर है।

          अल्लाह ने इन्सान को पैदा किया और उसे उसके कर्मो का ज़िम्मेदार बनाया क्यूंकि उसे सही और गलत में फर्क करने की समझ और चुनाव की स्वतंत्रता दी। अगर मृत्यु के पश्चात् किसी जीवन का अस्तित्व न हो तो अच्छे-बुरे कर्मो एवं उसके अनुसार इंसाफ प्राप्त होने का कोई औचित्य नही रह जाता। अतः इंसाफ का यह तकाज़ा है की निर्णय का एक दिन तय हो जहाँ हर जीव को कर्मों के अनुसार हिसाब देना होगा।

          "क्या हम आज्ञाकारियों को पापियों के समान कर देंगे? तुम्हे क्या हो गया है कैसे फैसले कर रहे हो?"  -पवित्र कुरआन 74:43-47

निर्णय का दिन

इस दुनिया में किये जाने वाले हर कर्म का पूरा-पूरा ब्योरा रखा जा रहा है, जैसा की अल्लाह ने कहा है:

          "और कर्म लेख (सामने) रख दिये जायेंगे, तो तुम अपराधियों को देखोगे कि उससे डर रहे होंगे, जो कुछ उसमें (अंकित) है तथा कहेंगे कि हाय हमारा विनाश! ये कैसी पुस्तक है, जिसने किसी छोटे और बड़े कर्म को नहीं छोड़ा है, परन्तु उसे अंकित कर रखा है? और जो कर्म उन्होंने किये हैं, उन्हें वह सामने पायेंगे और तेरा पालनहार किसी पर अत्याचार नहीं करेगा। -पवित्र कुरआन 18:49"

          हमारे कर्मो के इतने सटीक रिकार्ड पर अचंभित हो जायेंगे, हमें उन बातों को याद दिलाया जायेगा जिन्हें हम बिलकुल भूल चुके होंगे। अल्लाह कहता है:

          "जिस दिन कि अल्लाह उन सबको (मृत्यु के पश्चात्) उठा खड़ा करेगा फिर जो कुछ उन्होंने किया है उसे सूचित कर देगा। अल्लाह ने उन्हें गिन रखा है, और यह उसे भूल गए। और अल्लाह हर चीज़ से अवगत है।" -पवित्र कुरआन 58:6

          इस बात पर संजीदगी से सोचें तो शर्म आएगी की हमारे कर्म को लिखा जा रहा है और एक दिन आएगा जब अल्लाह के सामने उन्हें हमारे खिलाफ पेश किया जाएगा।

          वे लोग जो इन्सान के दोबारा जीवित किये जाने और अल्लाह द्वारा उनके हिसाब-किताब का इन्कार करते हैं, उनके इस मनगढंत सोच के बारे में कुरआन कहता है:

          "और उसने हमारे लिए मिसाल बयान की और अपनी मूल पैदाइश को भूल गया, कहने लगा की इन सड़ी-गली हड्डीयों को कौन जिंदा कर सकता है? कह दीजिए की वही जिंदा करेगा जिसने उन्हें पहली बार पैदा किया, जो सब प्रकार की पैदाइश को अच्छी तरह जानने वाला है।" -पवित्र कुरआन 36:78-79


स्वर्ग और नरक

जो सिर्फ एक ईश्वर पर विश्वास रखते हैं, किसी को साझी नहीं बनाते तथा अच्छे कर्म करते है उनको बदले में स्वर्ग से पुरस्कृत किया जायेगा।

"बेशक जन्नत वाले लोग आज के दिन अपने (मनोरंजन) कामों में व्यस्त ख़ुश और आनंदित है। वह और उनकी पत्नियां छाओं में राजगद्दी पर तकिया लगाये बैठे होंगे। उन के लिए जन्नत में हर तरह के मेवे होंगे और दुसरे भी जो कुछ वे मांगेंगे।" -पवित्र कुरआन 36:55-57

ईश्वर के अंतिम पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद सल्ल० से वर्णित है की अल्लाह ने कहा है:

          "मैंने अपने नेक बन्दों के लिए ऐसी चीजें बनाई हैं कि जिन्हें किसी आँख ने न देखा, न किसी कान ने सुना है और न ही किसी दिल ने उसकी कल्पना की है।" -बुखारी व मुस्लिम


इसके विपरीत जो लोग अल्लाह के साथ दूसरों को साझी ठहराते हैं, उनसे कहा जाएगा;

          "यही वह नर्क है जिसका तुम्हें वादा किया जाता था। अपने कुफ्र का बदला हासिल करने के लिए आज उसमें दाखिल हो जाओ" -पवित्र कुरआन 36:63-64
नास्तिकों के लिए अत्यंत ही यातना दायक दण्ड दिया जाएगा:

          "बेशक नरक घात में है, उदंडियों की जगह वही है। उसमें वे कई युग (और सदियों) तक पड़े रहेंगे। ना कभी उसमे ठंड का मजा चखेंगे ना पानी का। सिवाय गर्म पानी और बहती हुई पिप के। (उन को) पूरी तरह से बदला मिलेगा। उन्हें तो हिसाब की उम्मीद ही न थी। वे बेबाकी से हमारी आयतों को झूठलाते थे। हमने हर बात को लिखकर सुरक्षित (महफूज) रखा है। अब तुम अपने किए का मजा चखो, हम तुम्हारा अज़ाब ही बढ़ाते जाएंगे।" -पवित्र कुरआन 78:21-30

निष्कर्ष

          "हे मनुष्य! किस चीज ने तुम्हें धोखे में डाल रखा है अपने उदार रब के बारे में। जिसने तुझे बनाने का निश्चय किया, तो तुझे ठीक-ठीक और संतुलित बनाया? फिर जिस प्रकार के रूप में चाहा उसने तुझे जोड़कर तैयार किया कुछ नहीं, तुम तो बदला किए जाने को झूठलाते हो।” पवित्र कुरआन 82:6-9

          "बेशक नेक लोग (जन्नत के ऐशो आराम और) नेमतों से फायदे उठाने वाले होंगे। और यकीनी तौर से बुरे लोग जहन्नम में होंगे।" -पवित्र कुरआन 82:13-14

          मौत तो अटल है। हमारे इस जीवन का उद्देश्य सिर्फ एक सच्चे ईश्वर की इबादत करना, अच्छे कर्म करना तथा जिन कामों को वर्जित किया गया है उनसे बचना है। हमारे भाग्य का फैसला हमारे कर्मों के अनुसार होगा, तो आप यह हम पर निर्भर है कि हम इस जीवन में दिए गए अवसर का सही इस्तेमाल करके अच्छे कर्मों के साथ स्वर्ग में जगह बनाते हैं या अपनी इच्छाओं के दास बनकर गलत आचरण के साथ नरक के भागी बनते हैं।
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