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मेरा ईश्वर कौन है?
ईश्वर को पहचानने के लिए यात्रा करने के अलग अलग रास्ते हैं l हम जो रास्ता यहाँ चलेंगे वह है खोज का अभियान या रास्ता जिस पर एक महान व्यक्ति चले थे और जिनको यह महसूस हुआ था कि इस दुनिया के बनाने के पीछे एक निर्माता और सिरजनहार का होना ज़रूरी है जो पूजा का हक़दार हैl और वह महान आदमी हज़रत इबराहीम अल-ख़लील (अल्लाह के वफ़ादार दोस्त) थे, जो ख़ुद भी एक नबी थे और कई नबियों के पिता और दादा थे Ishwar ki Khoj in Hindi.

Ishwar ki Khoj in Hindi


हज़रत इबराहीम – सलाम हो उनपर - अल्लाह की रचनाओं में विचार और चिंतन करते हुए निकले वह अल्लाह को पहचानना चाहते थे क्योंकि वह उसकी रचनात्मकता और क्षमता को अपने सामने देख रहे थेl उन्होंने अल्लाह को खोजने की अपनी यात्रा शुरू की lऔर उनकी कहानी को शुभ क़ुरआन ने इस तरह उल्लेख किया है :

 (और इस प्रकार हम इबराहीम को आकाशों और धरती का राज्य दिखाने लगे (ताकि उसके ज्ञान का विस्तार हो) और इसलिए कि उसे विश्वास हो lअतएवः जब रात उसपर छा गई, तो उसने एक तारा देखा। उसने कहा, "इसे मेरा रबठहराते हो!" फिर जब वह छिप गया तो बोला, "छिप जानेवालों से मैं प्रेम नहींकरता।"फिर जब उसने चाँद को चमकता हुआ देखा, तो कहा, "इसको मेरा रब ठहराते हो!"फिर जब वह छिप गया, तो कहा, "यदि मेरा रब मुझे मार्ग न दिखाता तो मैं भीपथभ्रष्ट! लोगों में सम्मिलित हो जाता।" फिर जब उसने सूर्य को चमकता हुआ देखा, तो कहा, "इसे मेरा रब ठहराते हो! यहतो बहुत बड़ा है।"फिर जब वह भी छिप गया, तो कहा, "ऐ मेरी क़ौन के लोगो!मैं विरक्त हूँ उनसे जिनको तुम साझी ठहराते हो l"मैंने तो एकाग्र होकर अपना मुख उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया। और मैं साझी ठहरानेवालों में से नहीं।" उसकी क़ौम के लोग उससे झगड़ने लगे। उसने कहा, "क्या तुम मुझसे अल्लाह केविषय में झगड़ते हो? जबकि उसने मुझे मार्ग दिखा दिया है। मैं उनसे नहींडरता, जिन्हें तुम उसका सहभागी ठहराते हो, बल्कि मेरा रब जो कुछ चाहता हैवही पूरा होकर रहता है। प्रत्येक वस्तु मेरे रब की ज्ञान-परिधि के भीतर है। फिर क्या तुम चेतोगे नहीं? (अल-अनआम: 75-80)

जब हज़रत इबराहीम को यह महसूस हुआ कि एक ऐसी शक्ति मौजूद है जिसने सबको बनाया है, आकाशों और पृथ्वी का निर्माण कियाl और उनको अपने आप में यह महसूस हुआ कि इन देवताओं से कुछ लाभ या नुक़सान होनेवाला नहीं जिनकी पूजापाठ यह लोग लगे हैं । और यह देवी-देवता हरगिज़ हरगिज़ कुछ बना नहीं सकते। और आगे चल कर उन्होंने साबित कर दिया कि वे तो स्वयं की रक्षा भी नहीं कर सकते है ।

हज़रत इबराहीम अपने पालनहार को खोजने के अभियान पर निकले, पहले आकाश को देखा और उसपर एक बड़ा सितारा देखा और सोचा क्या यह मेरा पालनहार हो सकता है? लेकिन सितारा कितना भी चमके फिर उसे डूबना ही है, जब रात को अंधेरा छा गया और रात खत्म हो गई और सितारा छिप गया तो हज़रत इबराहीम अचंभित हो गए और बोले जो सितारा रात आने पर छिप जाता हो वह परमेश्वर कैसे हो सकता है! हज़रत इबराहीम अपना अभियान जारी रखे और जब आकाश में चांद को देखे तो तो सोचा क्या यह वह परमेश्वर हो सकता जिसको वह खोज रहे हैं लेकिन चाँद तो सितारा की तरह ही सुबह होते ही आँखों के सामने से छिप गया ।

और जब अल्लाह के पैगंबर हज़रत इबराहीम ने सूर्य को देखा तो कहा: क्या यह मेरा पालनहार हो सकता है? क्योंकि यह तो उससे अधिक बड़ा है लेकिन दिन के अंत में सूर्य डूब गया तो उनको विश्वास हो गया कि यह भी हमारा परमेश्वर नहीं हो सकता हैl और फिर अल्लाह ने उनपर कृपा किया और उन्हें विश्वास से सम्मानित किया और अल्लाह ने उन्हें अपनी वाणी दी और उन्हें लोगों में घोषणा कर देने का आदेश दिया कि लोगों को बता दें कि अल्लाह ने उन्हें सब को मार्गदर्शन करने लिए चुन लिया है और उनको अपना नबी बनाया है ।

जी हाँ, वह ही अल्लाह है जिसको हज़रत इबराहीम ने पहचाना, वह चाँद है न सूर्य और न वह मूर्ति जिसकी उनकी जाति पूजा कर रही थी । अल्लाह तो वह है जिसने आकाशों और पृथ्वी को बनाया है ।

याद रहे कि अल्लाह के खोज के लिए यह पहली यात्रा नहीं थी । बल्कि इस तरह की यात्राएं होती रही हैं उन्हीं में से एक यात्रा वह थी जो हज़रत इबराहीम–सलाम हो उनपर-की मौत के हज़ारों साल बाद की गई।

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