अल्लाह तआला ने अपने अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल. को विश्वव्यापी संदेश दे कर सम्पूर्ण संसार के लिए भेजा तो उनकी संगत के लिए ऐसे महान पुरुषों का भी चयन किया जो इस्लाम के विश्वव्यापी संदेश को सम्पूर्ण संसार में पहुंचाने के योग्य ठहरें, उन्हीं साथियों को सहाबा कहते हैं, जो सहाबी का बहुवचन है। यह वह लोग हैं जिनकी प्रशंसा अल्लाह ने अपनी किताब में की है, यह वह लोग हैं जो अल्लाह के संदेश के सर्वप्रथम सम्बोधक थे, जिन्हों ने मुहम्मद सल्ल. को अपनी आंखों से देखा और उनके आदेशों को अपने कानों से सुना था, जिन्हों ने अल्लाह के रसूल सल्ल. की एक एक बात अपने बाद वालों तक पहुंचाई थी मानो वह इस्लाम के प्रमाण हैं जिनके द्वारा इस्लाम बाद वालों तक पहुंचा है Islam mein Sahaba Kise Kahate Hain.
Islam mein Sahaba Kise Kahate Hain
सहाबी की परिभाषाः हाफिज़ इब्ने हजर रहि. ने सहाबी की परिभाषा इस प्रकार की हैः
الصحابی من لقی النبی ﷺ مؤمنا بہ ومات علی الاسلام
अर्थात् सहाबी वह है जिसने अल्लाह के नबी सल्ल.से ईमान की स्थिति मे मुलाक़ात की और ईमान की स्थिति में ही उनकी मृत्यु हुई।
इस प्रकार वह सारे लोग सहाबी की परिभाषा में सम्मिलित होंगे जिन्हों ने अल्लाह के रसूल सल्ल. से ईमान की स्थिति में मुलाक़ात की और ईमान की स्थिति में ही उनकी मृत्यु हुई, चाहे उन्हों ने आपके हाथ पर इस्लाम स्वीकार किया या किसी अन्य के हाथ पर, चाहे वह पुरुष हों अथवा स्त्री। चाहे उन्हों ने अल्लाह के रसूल सल्ल. को अपनी आखों से देखा हो चाहे आँख न होने के कारण देख न सके हों।
उनमें जो पुरुष हैं उनको सहाबी कहते हैं जिसका बहुवचन सहाबा होता है और जो महिला हैं उनको सहाबिया कहते हैं जिसका बहुवचन सहाबियात होता है।
जब किसी एक सहाबी का नाम आए तो कहें : “रज़ियल्लाहु अन्हु”, और जब एक से अधिक सहाबा का नाम आए तो कहीं: “ऱजियल्लाहु अन्हुम”, और जब किसी सहाबिया का नाम आए तो कहें: “रजियल्लाहु अन्हा” और जब एक से अधिक साहाबियात का नाम आए तो कहें “ऱजियल्लाहु अन्हुन्न”।
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