निम्न में हम आपकी सेवा में एक एक अनाथ बच्चे की जीवनी प्रस्तुत कर रहे हैं जो अंधकार युग में पैदा हुआ, पैदा होने से पहले पिता का देहांत हो गया, 6 वर्ष के हुए तो माता भी चल बसीं, अनाथ थे पर समाज में दीप बन कर जलते रहे, Story of Muhammad SAW in Hindi आचरण ऐसा था कि लोगों ने उनको सादिक़ ” सत्यवान ” और अमीन ” अमानतदार ” की अपाधि दे रखी थी।
Story of Muhammad SAW in Hindi
चालीस वर्ष के हुए तो समाज सुधार की जिम्मेदारी सर पर डाल दी गई। जब सत्य की ओर आमंत्रन शुरू किया तो दोस्त दुश्मन बन गए, सच्चा और अमानतदार कहने वाले पागल और दीवाना कहने लगे, गालियाँ दीं, पत्थर मारा, रास्ते में कांटे बिछाए, सत्य को अपनाने वालों को कष्टदायक यातनाएं दीं, 3 वर्ष तक सामाजिक बहिष्कार किया जिस में जान बचाने के लिए वृक्षों के पत्ते तक चबाने की नौबत आ गई, सांसारिक भोग विलास और धन सम्पत्ति की भी लालच दी, पर उन सब को ठुकड़ा दिया और सत्य की ओर बुलाते रहे।
जब अपनी धरती बांझ सिद्ध हुई तो अपने शहर ने निकट दूसरे शहर के लोगों को सत्य की ओर बुलाया, कि शायद वहाँ के लोग सत्य संदेश को अपना लें तो वहाँ शरण मिल सके, परन्तु शहर वालों ने उन पर पत्थर बरसाया, पूरा शरीर खून से तलपत हो गया और बेहोश हो कर गिर पड़े। फिर भी उनकी भलाई की प्रार्थना करते रहे, एक दिन और दो दिन की बात न थी निरंतर 13 वर्ष तक देश वालों ने उनको टार्चर किया, यहाँ तक कि उनको और उनके साथियों को अपने ही देश से निकाला, उनके घर बार और सम्पत्ति पर क़ब्ज़ा कर लिया। जन्मभूमि से निकालने के बावजूद उनकी शत्रुता में कमी न आई, दस वर्ष में 27 बार युद्ध किया, उनके पूरे जीवन में उन पर 17 बार जान लेवा आक्रमण किया गया पर सत्य को अपनाने वालों की संख्या धीरे धीरे बढ़ती ही रही।.
उन्हों ने अपने संदेश के आधार पर एक स्टेट स्थापित किया,उसके नियम और क़ानून बनाए और उसे इस योग्य बयाया कि सम्पूर्ण संसार का मार्गदर्शन कर सके।.
फिर एक दिन वह भी आया कि जिस जन्मभूमि से उनको निकाल दिया गया था 8 वर्ष के बाद उस पर बिना किसी युद्ध के सरलता पूर्वक विजय पा लिया। ज़रा सोचिए वह इनसान जिन को निरंतर 21 वर्ष तक चैन से रहने नहीं दिया जाता है आज अपने शत्रुओं पर क़ाबू पा ले रहा है… दुनिया का क़ानून यही कहेगा कि 21 वर्ष के शत्रुओं को कष्टदाइक सज़ा मिलनी चाहिए थी। पर उस सज्जन ने उन सब की सार्वजनिक क्षमा की घोषणा कर दी। जिसका परिणाम क्या हुआ…?
लोग समझ गए कि यह महान इनसान स्वार्थी नहीं हमारा शुभचिंतक है,
अब क्या था, लोग हर ओर से इस सत्य को स्वीकार करने लगे…दो वर्ष के बाद जब उन्हों ने अन्तिम हज्ज किया तो उनके अनुयाई उनके साथ एक लाख चवालिस हज़ार की संख्या में उनके साथ एकत्र हुए थे। फिर तीन महीने बाद जब उनका देहांत हो गया तो वही अनुयाई दुनिया के कोना कोना में पहुंच गए और उनके संदेश को फैलाया। आज उस महान इनसान का संदेश पूरी दुनिया में सब से अधिक फैलने वाला है। क्या आप जानते हैं इस महा पुरुष को….?
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