निम्म में हम पांच उपदेश आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं जो संसार के सबसे सच्चे और पवित्र व्यक्ति विश्व नायक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रवचन पर आधारित है, हमे आशा है कि इसे पढ़ कर स्वयं इस पर अमल करेंगे और अपने परिवार के सदस्य तथा मित्रों को भी इस पर अमल करने की ताकीद करेंगे Muhammad Sahab Ki Shiksha.
Muhammad Sahab Ki Shiksha
हज़रत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु का बयान है कि एक दिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि:
مَنْ يَأْخُذُ مِنْ أُمَّتِي خَمْسَ خِصَالٍ ، فَيَعْمَلُ بِهِنَّ ، أَوْ يُعَلِّمُهُنَّ مَنْ يَعْمَلُ بِهِنَّ ؟ قَالَ : قُلْتُ : أَنَا يَا رَسُولَ اللهِ ، قَالَ : فَأَخَذَ بِيَدِي فَعَدَّهُنَّ فِيهَا ، ثُمَّ قَالَ : اتَّقِ الْمَحَارِمَ تَكُنْ أَعْبَدَ النَّاسِ ، وَارْضَ بِمَا قَسَمَ اللهُ لَكَ تَكُنْ أَغْنَى النَّاسِ ، وَأَحْسِنْ إِلَى جَارِكَ تَكُنْ مُؤْمِنًا ، وَأَحِبَّ لِلنَّاسِ مَا تُحِبُّ لِنَفْسِكَ تَكُنْ مُسْلِمًا ، وَلاَ تُكْثِرِ الضَّحِكَ ، فَإِنَّ كَثْرَةَ الضَّحِكِ تُمِيتُ الْقَلْبَ.
أخرجه الترمذي (4/551 ، رقم 2305) ، وقال : غريب ، قال الشيخ الألباني : ( حسن ) انظر حديث رقم : 100 في صحيح الجامع.
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