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मकड़ी और नास्तिकता के बीच समानता की तुलना से बहुत से लोग प्रसन्न नहीं होगें, परंतु आज के समय में विज्ञान ने कुरान की इस आयत को भी प्रमाणित किया है, कुरान की सूरह अनकबूत पाठ संख्या 29 की आयत संख्या 41 में अल्लाह का कथन है कि Nastik Aur Islam Quran:
जो लोग अल्लाह के अतिरिक्त किसी और को अपना सहायक ( रक्षक) समझते हैं उनका उदाहरण एक मकडी के समान है , जो ( अपने लिए) घर बनाती है और निश्चित ही सबसे कमजोर घर मकडी का ही होता है,

Nastik Aur Islam Quran

यह निसंदेह एक अद्भुत आयत है और पुनः कुरान की सत्यता को प्रमाणित करती है, और सारे आस्तिकों को उत्तर देती है जो लोग भी कुरान में शंका करते हैं ,
यहां हम सिद्ध करेंगे कि मकडी का घर न केवल संरचना में बहुत कमजोर है बल्कि यह सामाजिक दृष्टिसे भी बहुत कमजोर होता है

संसार के सभी प्राणियों को वातावरण से अपने को बचाने के लिए मजबूत घर की आवश्यकता होती है, परंतु बहुत सी मकडी प्रजातियाँ अपने घर को खुले में बनाती हैं जो कि हवा ,वर्षा और धूप में खुला रहता है, और कुछ मकड़ियों के घर तो पानी में ही होते हैं,

यह मकड़ी जो पानी में रहती है पानी के बुलबुले को अपने जाले में भरकर वहीं अपनी सांस लेती रहती है, इस मकडी के शरीर में ऐसे छेद और नलियों की सरंचना होती है जिससे यह पानी के बुलबुले इकठ्ठे करती है,
कभी इसके घर की सरंचना को देखें जो कि पानी के बुलबुले से भरा होता है और किसी भी समय फूट जाता है
पानी की मकड़ी पानी के अंदर ही रहती है और इसका घर भी पानी के बुलबुले से बनता है और यह इतना कमजोर होता कि यह कुछ घंटे या फिर एक दो दिन ठहरा रह सकता है और फिर यह बहुत से बाहरी कारणों से टूट जाता है, इसके बाद पानी की मकडी दूसरे घर के निर्माण में लग जाती है, यह मकडी अपने सारे जीवन में यही करती रहती है,

दुनिया के सभी प्राणियों का घर 3D संरचना का होता है, परंतु केवल मकडी का 2D संरचना का होता है, और यह वातावरण के तापमान, हवा से इतना प्रभावित होता है कि अंत में मकडी ही अपने जाल को खा लेती है और उससे नया जाला फिर से बनाती है,
कुछ वैज्ञानिकों का विचार है कि मकडी के जाले की बहुत सी मात्रा को इकट्ठा कर लिया जाये तो एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा सकता है, या फिर यह वायुयान इंडस्ट्री ( plane industry ) में सहायक हो सकता है, लेकिन इसके लिए उन्हें बहुत सी मकड़ियों को एक साथ रखना होगा,
ताकि बहुत बड़ी मात्रा में मकडी का जाल बन सकता, परंतु इस में समस्या यह है कि मकड़ियों की प्रवृत्ति ऐसी होती है कि यह दूसरी मकडी का अस्तित्व नहीं बरदाश्त कर पातीं न इनमें त्याग की भावना होती है, तो जैसे ही मकडियां मिलती हैं तो एक दूसरे को खा जाती हैं,
कुरान की सूरह अनकबूत पाठ संख्या 29 की आयत संख्या 41 में अल्लाह का कथन है कि

(41) जिन लोगों ने अल्लाह के अतिरिक्त दूसरे कार्यसाधम बनाये हैं, उनका उदाहरण मकड़ी जैसा है। उसने एक घर बनाया। और निस्सन्देह सभी घरों से अधिक कमज़ोर घर मकड़ी का घर है। काश कि लोग जानते।

मकडी की बहुत कमज़ोर परिवार प्रणाली होती है:

मकडी ऐसा जंतु है जिसमें मां मकडी अपने बच्चों और
दूसरी मकडियों को भी खा जाती है, मकडी का जीवन एक एकांत जीवन होता है जो बहुत कुछ नास्तिक लोगों के जीवन से मिलता है , जो जंतु केवल और केवल अपने अस्तित्व पर विश्वास करते हैं, और अभी के समय में बहुत से यूरोपीय देशों में यह परंपरा बन गई है जहां माता पिता अपने बच्चों को संरक्षण देना बंद कर देते हैं बल्कि मां या बाप होने से ही इंकार कर देते हैं, यहां तक कि वहां मां बाप और बच्चों के बीच कोई सामाजिक बातचीत भी नहीं हो पाती ,

मकडी का सामाजिक जीवन भी नहीं होता :

हमने कुरान के वैज्ञानिक चमत्कारों के अंतर्गत चीटियों, टिड्डियों और पक्षियों के सामाजिक जीवन के विषय में अध्धयन किया, आज के समय में बहुत सा ज्ञान मधुमक्खियों के सामाजिक जीवन के विषय में भी उपलब्ध है, परंतु मकडी एक ऐसा प्राणी है जो बहुत अव्यवस्थित सामाजिक जीवन जीता है, मकडी बहुत ही खुदगर्ज़ होती है जबकि चीटीं और मधुमक्खियां मृत्यु तक भी एक दूसरे की रक्षा करती हैं,
मकडी का वैवाहिक जीवन भी नहीं होता:
मकडी की कुछ प्रजातियां बहुत अनुचित व्यवहार करती हैं , इनमें मादा मकडी ( mating) के बाद नर मकडी को खा जाती है, इसी कारण नर को mating के बाद तुरंत वहां से भाग जाना पडता है,
यह बहुत विचित्र स्थिति होती है , वैज्ञानिकों का कहना है कि मादा मकडी की यह विशेषता लगभग सभी प्राणियों से भिन्न होती है,

मकडी के जाले बहुत ही कमज़ोर होते हैं,

वैज्ञानिकों का कहना है कि मकडी के जाले लोहे के तारों से भी पांच गुना मज़बूत होते हैं, परंतु इसके बाद भी आसानी से टूट जाते हैं, क्यों?
क्योंकि मकडी थोडे अधिक मोटाई के जाले नहीं बना सकती, बल्कि यह जाले बहुत पतले होते हैं, इनकी मोटाई आदमी के बाल की मोटाई से भी 10 गुना पतली होती है,
इस कारण सूरह अनकबूत की आयत संख्या 41 में यदि यह लिखा होता कि मकडी के जाले कमज़ोर होते हैं तो यह वैज्ञानिक त्रुटी होती , परंतु यहां लिखा गया कि मकडी का ‘घर’ बहुत कमज़ोर होता है, और निश्चित ही यह बहुत उचित व्याख्या है नास्तिकों के लिए,
स्वंय कुरान में सूरह अन्निसा पाठ संख्या 4 की आयत संख्या 87 में लिखा है:
कि किसका कथन अल्लाह के कथन से अधिक सत्यवादी हो सकता है?
नीचे दिया गया चित्र एक सूक्ष्मदर्शी ( microscope)से लिया गया मकडी की उन ग्रंथियों का है जो जाल बनाते हैं और यह जाल कुछ विशेष प्रोटीन की सहायता से बनता है, यह धागे पहली अवस्था में द्रव्य अवस्था में होते हैं जो हवा के संपर्क से ठोस हो जाते हैं, कहा जा सकता है कि मकडी एक कुशल इंजीनियर की भांति कार्य करती है , परंतु दुर्भाग्य से इसकी इंजीनियरिंग बहुत कमज़ोर होती है

कुछ बिंदू जो नास्तिकों और मकडी में समान माने जायेंगे:

– दुनिया में मकडियों की 37000 प्रजातियां हैं, परंतु अभी तक वैज्ञानिक कृत्रिम रूप से मकडी का जाला नहीं बना पाये, और इस जंतु में ईश्वर ने निर्माण और डिजाइन करने की उच्च क्वालिटी की तकनीक भी दी है, और यह क्वालिटी नास्तिकों में भी होती है , वे अपना संसार का काम बहुत निपुणता से करते हैं, लेकिन परलोक के विषय में उनका कोई कार्य नहीं होता,
कुरान की आयत है कि

(23) और हम उनके प्रत्येक कर्म की ओर बढ़ेंगे जो उन्होंने किया था। और फिर उसको ( ऐसे कर्मो) को उड़ती हुई धूल बना देंगे
– वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मामले में कोई विरोधाभास नहीं है कि मकडी का जाला उसके अनुसार बहुत मजबूत होता है, परंतु इसके घर की समस्त प्रणाली बहुत ही कमजोर होती है, यही सब आप एक नास्तिक के विचारों में भी पाओगे, यदि किसी नास्तिक से पूछा जाए कि यह पूरा ब्रह्मांड किसने बनाया तो वह जवाब देगा कि किसी ने नहीं, और उनसे कहा जाए कि इस तर्क से कार और जहाज भी खुद ही बन गए हैं तो वह कहेगा कि यह संभव नहीं, इस, प्रकार उसके विचारों में स्पष्ट विरोधाभास होता है
– इसी प्रकार मकडी और नास्तिक के देखने की क्षमता में समानता होती है , एक मकड़ी केवल कुछ सेन्टीमीटर तक देख सकती है और नास्तिक भी केवल इस संसार को देखता है, परलोक के विषय में वह दृष्टि हीन होता है
– मकडी एक आक्रामक और जहरीली जंतु है , अपने जहर से यह दूसरे प्राणियों की हत्या कर देती है, और यही कार्य नास्तिक भी करते हैं वे अपने ईश्वर पर अविश्वास और घातक विचारों को समाज में फैलाते हैं
पवित्र कुरान की सूरह अनकबूत पाठ संख्या 29 की आयत संख्या 41 में अल्लाह का कथन है कि

(41) जिन लोगों ने अल्लाह के अतिरिक्त दूसरे कार्यसाधम बनाये हैं, उनका उदाहरण मकड़ी जैसा है। उसने एक घर बनाया। और निस्सन्देह सभी घरों से अधिक कमज़ोर घर मकड़ी का घर है। काश कि लोग जानते।
मकडी के जालों की मोटाई .001 मिलीमीटर से .004 मिलीमीटर तक होती है और इसमें इलास्टिक ( elastic ) के गुण होते हैं, यह जाला अपनी कुल लंबाई का 140% तक खिंच सकता है, कुछ विश्लेषकों का कहना है कि मकड़ी के जाले की तार की मोटाई आदमी के बाल से 30 गुना कम होती है, यदि आप को इस मोटाई की कल्पना करनी है तो बिजली के सामान्य तार से आदमी के बाल की तुलना करें,

मकडी और आस्तिक के जीवन की तुलना :

मित्रों, अब हम कुछ पश्चिमी देशों के डाटा का विश्लेषण करेंगे, जो कि एक ऐसा समाज है जिसमें अधिकतम लोग अपने को आस्तिक कहते हैं, हम उन लोगों के जीवन और मकडी के जीवन की तुलना करेंगे,
उन लोगों का जीवन जिन्होंने शैतान और पैसे को अपना लीडर और भगवान् बना दिया है,

काली मादा मकडी अपने नर से मिलने के बाद उसको ही खा जाती है ,सचमुच कितना अजीब जीवन है मकडी का,

आप को पता होगा कि अमेरिका में एक साल में लगभलग 300000 बलात्कार होते हैं, (American ministry of justice), वहां हर 2 मिनट में एक बलात्कार हो जाता है, सचमुच उस समाज ने सारे सामाजिक संबंध टूट गये हैं, बिल्कुल मकडी का जीवन हो गया है,

क्या आप जानते हैं कि अमेरिका में लगभग हर स्त्री का जीवन में कम से कम एक बार बलात्कार किया गया होता है, और इस में 20% वह बच्चे हैं जिनकी आयु 12 साल से कम होती है , और तीन चौथाई बच्चे वह है जो विश्वविद्यालय स्तर पर पहुंच कर बलात्कार के शिकार बने हैं,
यह भी मकडी के गुणों से मिलता है

अमेरिका में 15 सेकेंड में एक स्त्री का बलात्कार ( sexually या physically) होता है, 20% बच्चों का बलात्कार 18 वर्ष से कम आयु में होता है, इसके अतिरिक्त child molestation के भी हजारों मुकदमे हर साल वहां दर्ज होते हैं
मकडी और नास्तिक में समानता :

हम संक्षिप्त में कुरान में मकडी वाली आयतों का निष्कर्ष देखते हैं:

पवित्र कुरान की सूरह अनकबूत पाठ संख्या 29 की आयत संख्या 41 में अल्लाह का कथन है कि

(41) जिन लोगों ने अल्लाह के अतिरिक्त दूसरे कार्यसाधम बनाये हैं, उनका उदाहरण मकड़ी जैसा है। उसने एक घर बनाया। और निस्सन्देह सभी घरों से अधिक कमज़ोर घर मकड़ी का घर है। काश कि लोग जानते।
तो हम कुछ बिंदु इस प्रकार पाते हैं-

1- पवित्र कुरान की इस पवित्र आयत में मकडी के मादा होने का पता चलता है , अर्थात जाला बनाने वाली मकडी का लिंग निर्धारित किया गया है , यहां पर प्रयुक्त अरबी शब्द से पता चलता है कि वह मादा मकडी होती है, यह वैज्ञानिक चमत्कार है , 1400 वर्ष पूर्व कुरान के अवतरण किसी को भी जाला बुनने वाली मकडी का लिंग मालूम होना असंभव है,
2- संसार के सभी प्राणियों में सबसे दुर्बल घर मकडी का होता है जो आज के आधुनिक युग में भी एक स्थापित सत्य है
3- इस पवित्र आयत में यह स्पष्ट किया गया है कि मकडी का ‘घर’ दुर्बल होता है न कि वह जाले का धागा, जो कि एक और चमत्कार है,
और जो एक बार और प्रमाणित करता है कि यह पुस्तक ‘कुरान’ ईश्वरीय है और कोई मानव इसका लेखक नहीं हो सकता